इनको सुला कर हमबाहर से लॉक कर चाभी लेकर
दूसरे स्वीट में चले गए, वहीं बैठ एक एक मगबियर
का पिया, मैंने मेजसे सामान उठाया, नाईटी
उतारफेंकी, ननदोई जी केसामने नंगी होकर
बिस्तर पर लहराने लगी।
"हाय मेरी जान शोभा ! बहुत मस्त अंदाज़ की
औरतमिली है साला साहेब को !:
उन्होंने बोतल पकड़ीमेरे मम्मों पर दारु बिखेरी
जो मेरी नाभि में चली गई।
ननदोई जी चाटते हुएनीचे आ रहे थे, मेरा
बदनवासना से जलने लगा। ऐसे कामुक अंदाज़
कभी नहीं अपनाए, किसी ने मेरे बदन परऐसे खेल
नहीं खेले थे, जब ननदोई जी ने नाभि से दारु
चाटी, मैं कूल्हे उठानेलगी, इन्होंनेमेरी पैंटी
खींच दी।
"हाय, कितनी प्यारी फ़ुद्दी है ! कितनी
चिकनी कीहुई है मैडम आपने !"
मेरी फ़ुद्दी चाटनेलगे तो मुझे लगा कि मैं वैसे ही
झड़ जाऊँगी, पर मैंने उनको नहीं रोका। उन्होंने
मुझे उल्टालिटाया, मेरी पीठ परदारु डाल
डाल कर चाटने लगे, मेरे चूतड़ों पर दारु टपका कर
चाटने लगे। हाय ! मैं ऐसे मर्दके साथ पहली बार
थी जो औरत को इतना सुख देता हो !
"दीदी ऐसा करने देती हैं क्या?"
"हाँ शुरु में मैंने उसको बहुत खिलाया है, अब उसके
जिस्म का वोआकार नहीं रह गया जिसको
सहलाया जाए, दारु डाल कर चाटी जाए !"
वो बोले- चल, ननदोईका लौड़ा चाट !
मैं भी पूरी रंडीबनकर दिखाना चाहती थी,
उनकी आँखों में देखते हुए मैं नीचे से उनके लौड़े को
जुबां सेचाटते हुए सुपारे तक ले गई, वहाँ से रोल
करके लौड़ा चूसा।
"हाय मेरी रानी ! मजे से चाट-चूम ! जो
तेरादिल आये कर इसके साथ !"
उनका नौ इंची लौड़ासलामी दे दे कर मेरे
अरमान जगा रहा था, मैं खूब खेल रही थी।
फ़िर बोले- चल एक साथकरते हैं !
69 में आकर मैं उनके लौड़े को चूसने लगी, वो मेरी
फ़ुद्दी कोचाटने लगे, उंगली सेफैला कर दाने को
रगड़ते हुए बोले- वैसे काफी ठुकवाई है तुमने !
"आपको किसने कह दिया, जनाब?"
"तेरी फ़ुद्दी बोल रही है ! बहुत बड़े शिकारीहैं
शोभा हम ! साले साब ने नहीं घुसया क्या?"
"इनका बहुत पतला और बहुत छोटा है, राजा ।
घुसाया तो सहीलेकिन मुझे पूरी रात जलाया
भी था।"
कुछ देर एक दूजे केअंगों को चूमते रहे,फिर मेरी
टांगें उठवा दी और अपने मोटे लौड़े को धीरे
धीरे से प्रवेशकरवाने लगे, मुझे सच मेंदर्द हुई,
काफी मोटाथा।
"कैसी लगी फ़ुद्दी? ढीली या सही?"
"बिलकुल सही है, रानी !" उन्होंने कस करझटका
दिया और मेरी सिसकारी निकल गई- आ आऊ
ऊऊऊउ छ्हह्ह्ह !
वे जोर जोर से पेलनेलगे, मैं सिसकसिसक कर
उनका पूरा साथ दे रही थी। ननदोई जी ने मेरी
टांगों को हाथों मेंपकड़ लिया और वार पर वार
करने लगे, इससे पूरा लौड़ा घुसता था, कभी
घोड़ी बनाते, कभी टांगें उठा कर आगेसे मेरी लेते
रहे।
बहुत देर में जबउनका निकलने वाला था तो
कहा- [font='Times New Roman', serif]“[/
font]कहाँनिकालूँ रानी? बच्चा जल्दीकरना है
तो अन्दर निकाल देता हूँ, मेरे स्पर्म बहुत मजबूत
हैं।[font='Times New Roman', serif]“[/font]
"रुको मत ! जो करना है, अंदर करो, मेरे राजा!
हाय, जोर जोर सेकरो ना !"
उन्होंने अपना पूरा पानीमेरे अंदर निकाला, मैंने
उनकागीला लौड़ा चाट चाट कर पूरा साफ़
कर डाला।
"आज मजा आया या कल रात को आया था?"
"वो रात मैं भूलना चाहती हूँ वैसी झल्लातीमुझे
आज तक किसी ने नहीं छोड़ा था।"
"बहुत मस्त माल है तू ,शोभा ! पसंद आई बहुत !तेरे
चूतड़ बहुत नर्म हैं !" मेरी गाण्ड पर थपकी लगाते
हुए बोले।
एकदम से दोनों चूतड़फैला कर गांड देखने लगे-
“इसमें भी डलवाया हैकभी?”
"आपके इरादे खराब हैं! आप उन्हें देख कर
आओपहले!"
वो जल्दी से उन्हेंदेख कर आये, बोले-
[font='Times New Roman', serif]“[/font]सो
रहा है, अब तू घोड़ी बन जा![font='Times New
Roman', serif]”[/font]
"मैं कोठे पर बैठी हूँ क्या जो आप यह सब
करवारहे हैं?" लेकिन मैंनेउनका कहना माना।
उन्होंने मेरे चूतडों को फैला करगांड पर पिच्च से
थूका, और ऊँगली घुसाते हुएपूछा - “दी तो है ना
पहले?”
"हां, पर उसका आप जितना बड़ा नहीं था!"
"चल एक एक पैग लगाते हैं, फिर तुझे दर्द
नहींहोगा।"
"बहुत कड़वी है।"
"खींच जा बस !"
मुझे काफी नशा होनेलगा था, बियर कीबोतल
पकड़ कर मुझे घोड़ी बना दिया, पहले गाण्ड पर
बियर डाल कर चाटी, खाली बोतल को
गाण्डमें घुसाने लगे।
"यह क्या?"
"इससे तेरी ढीली करूँगा !"
उनका ज़ालिम लौड़ा फिरसे खड़ा था, उसको
फ़ुद्दीमें घुसाते हुए बियर की बोतल को गांड में
देने लगे।
"हाय ! प्लीज़ ! यह क्या?"
फिर बोतल निकाल पूरीताक़त से लौड़ा मेरी
गांड में घुसा दिया और लगे पेलने।
"हाय, फट गई मेरी ! मत मारो, प्लीज़!"
लेकिन उन्होंने पूरीमर्दानगी मेरी गांड पर उतार
दी । नशा ना किया होता तोमर ही जाती
मैं !उन्होंने इतनी ताक़त से गांड मारी कि मेरे
बदन का कचूमरनिकाल दिया।अंग अंग ढीला कर
दिया!
फिर मैं सुबह तीनबजे पति के कमरे में गई और वहीं
लेट गई, थकान से कब नींद आई पता नहीं चला।
सुबह आठ बजे पति ने मुझेजगाया।
"मैं आपसे नाराज़ हूँ, उन्होंने इतना महंगाहोटल
बुक किया और आपको याद भी नहीं होगा कि
कितनी मुश्किल से आपको लिटाया था मैंने !"
"आगे से कम पियूँगा।"
हम घर लौट आये, आँखों में नशा औरनींद दोनों
थी। ननदें मज़ाक करने लगी- लगता है पूरीरात
को सोये नहीं?
ननदोई जी खुद दोपहरको लौटे, रात हुई, काफी
मेहमान आ चुकेथे, सोने के इंतजामकिये थे। रात
को सभीनाचने लगे, डी.जे. लगवालिया था।
पति देवपैलेस चले गए थे पूरा कामकाज देखने के
लिए, हलवाइयो की निगरानी भी करनी थी।
सभी थक कर चूर होगये, खाना-वानाखाया,
जिसको जहाँजगह मिली, वहीं सोगया। नीचे
बिस्तरलगाए थे, सासू माँ नेमुझे कमरे में भेज
दिया, बोली- वहीं जाकर सो जा ! सभी सो
गए, मुझे भी नींद आ गई, काफी रात कोमैंने
अपने ऊपर किसी को महसूस किया।
बोले- मैं हूँ।
"आप फिर?" ननदोई जी ही थे।
"आज भी?"
"तेरी चूत की आदत लग गई है, रानी। जरा
सलवार कानाडा खोल."
"आप भी ना? कोई आ गया तो?"
[font='Times New Roman', serif]“[/font]सभी
थक करसो गए हैं, हम नाचेनहीं थे इसलिए थके
नहीं। अब थकने आये हैं!"
वो लौड़ा लेकरसिरहाने की तरफ सरक गए
जिससे उनका नाग देवता मेरे होंठों से टकरा
गया। मैंने झट सेमुँह में लेकर चुप्पे मारे और सलवार
उतार कर बोली- आज खुलकर खेलने का वक्त
नहीं है !
"हाँ, हाँ !"
मैंने टाँगें उठाईऔर जल्दी से घुसवा लिया.
उन्होंने भी दस मिनट दनादन शाट मार कर
पानी निकाल दिया।
जब में उनको कमरे सेबाहर निकालने गई, मुझे लगा
किकिसी ने देखा ज़रूर है, यह नहीं पता चला
कि कौन था। वो तो चले गए, मैं घबरा गई।
Wednesday, August 5, 2015
ननदोई जी की ताक़त. Part 2
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment